कबीरदास जी के दोहे | कबीरदास का जन्म कब हुआ था?

दोस्तों, आज के लेख, कबीरदास जी के दोहे में कबीरदास जी के ५० दोहे और कबीरदास का जन्म कब हुआ था इन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी इस लेख में उपलब्ध है। कबीर जी के दोहे आज भी बहुत प्रसिद्ध है लोग इन्हें अपने जीवन में उपयोग करते है। 

आमतौर पर कबीरदास जी के दोहे जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित होते है। उनके दोहों में उन्होंने समाज, जीवन के मूल्य, मानवता और जीवन की सीख के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है। आज हमने उनके कुछ महत्वपूर्ण दोहों को एकजुट कर यहाँ नीचे लिखा है जिसे आप आसानी से पढ़ और समझ कर अपने जीवन में उपयोग कर सकते है। 

कबीरदास जी के दोहे | कबीरदास जी की रचनाएं

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।।

भावार्थ: कबीर जी कहते है कि गुरु और गोविन्द ( भगवान ) दोनों खड़े है समझ नहीं आ रहा है कि पहले किसे नमस्कार करू? पहले गुरु को ही प्रणाम कर करता हु? क्युकि गुरु ने ही तो मुझे भगवान का ज्ञान दिया है।

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जाहि जब छूट ॥

भावार्थ: कबीर जी कहते है कि अभी राम नाम की लूट है! सभी लोग भगवान की पूजा अर्चना कर रहे है, जितना भगवान को याद करना या पूजा करना है कर लो क्युकि मर जाने के बाद पछताओगे की मैंने क्यों भगवान की पूजा नहीं की। 

साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥

भावार्थ: सत्य के बराबर इस संसार में कोई तप (तपस्या) नहीं है, और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं जिसके मन में या हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते है। 

कबीरदास जी के दोहे कबीरदास का जन्म कब हुआ था kabir ke dohe in hindi
Kabir das

मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीति।
कहै कबीर हरि पाइए, मन ही की परतीति॥

भावार्थ: अगर कोई काम के शुरू करने से पहले ही हार मान लें तो वह काम कैसे सफल होगा क्युकि मन के हार जाने से पराजय निश्चित है लेकिन, अगर मन से किसी काम को करने को ठान लें, तो जीतना या सफल होना तो तय है। इसलिए मन में विश्वास होने से परमात्मा की प्राप्ति होती है। 

कबीर जी के दोहे हिंदी में | कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ

प्रेम न बाडी उपजे, प्रेम न हाट बिकाई ।
राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई ॥

भावार्थ: प्रेम कोई बीज नहीं जो किसी खेत में उगता है, और ना ही कोई वस्तु है जो बाजार में बाजार में बिकती है। जिसे भी प्रेम चाहिए चाहिए वो कोई राजा हो या आम नागरिक अगर प्रेम में समपर्ण है त्याग है तो वह प्रेम को पा सकता है। 

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात ।
एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात ।।

भावार्थ: कबीर जी कहते है कि मनुष्य का शरीर पानी के बुलबुले जैसा है जैसे पानी के बुलबुले किसी भी क्षण में विलुप्त हो जाते है वैसे ही मनुष्य का शरीर क्षणभंगुर है। जैसे सुबह होते ही आसमान के तारे छिप जाते है वैसे ही एक दिन मनुष्य का यह शरीर भी नष्ट हो जायेगा। 

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।।

भावार्थ: कबीरदास जी कहते है किसी सज्जन ( साधु ) से कभी उसकी जाति मत पूछो अगर पूछना ही है तो उसके ज्ञान के के बारे में पूछो। जैसे तलवार खरीदते समय केवल तलवार का ही मोल-भाव करते है उसको रखने वाली म्यान का नहीं। 

कबीरदास जी के दोहे कबीरदास का जन्म कब हुआ था kabir ke dohe in hindi
Kashi

कबीर ऐसा यहु संसार है, जैसा सैंबल फूल।
दिन दस के व्यौहार में, झूठै रंगि न भूलि॥

भावार्थ: कबीर जी कहते है कि यह संसार सेवल के फूल जैसा है जो दिखने में तो लाल और बहुत लुभावना लगता है परन्तु अंदर से रुई जैसा नीरस पदार्थ निकलता है ठीक इसी तरह यह संसार भी बाहर से बहुत सुंदर प्रतीत होता है परन्तु मनुष्य सांसारिक सुखों को भोगने में वयस्त रहता है जो कि एक धोखा है जो एक बार इनमे फस गया वह पछताते हुए इस संसार से विदा होता है। 

कबीर दास के दोहे इन हिंदी | कबीर दास के दोहे साखी का अर्थ

परनारी पर सुंदरी, बिरला बंचै कोइ।
खातां मीठी खाँड़ सी, अंति कालि विष होइ॥

भावार्थ: कबीर जी कहते है कि पराई स्त्री और सुंदरी देखने मे भले ही बहुत सुंदर और आकर्षक हो पर इनसे दुरी बनाये रखें। यदि इनसे सम्बन्ध जोड़ लिया तो यह बिष के समान हो सकता है। शुरुवात मे तो यह मीठी चीनी के समान लगती है, लेकिन बाद मे यह व्यक्ति का नाश भी कर देती है। 

जो तोकु कांटा बुवे, ताहि बोय तू फूल।
तोकू फूल के फूल है, बाकू है त्रिशूल।।

भावार्थ: इस पक्ति का अर्थ है कि जो व्यक्ति आपके लिए काटे बोता है लेकिन आप उसके लिए फूल बोये। समय आने पर वह वयक्ति काटो से घिरा होगा और आप फूलों से। कहने का अर्थ यह है की कोई वयक्ति कितना भी आपके लिए बुरा सोचे और करे लेकिन आप उसके लिए अच्छा ही सोचें क्युकि जो दुसरो का बुरा चाहता है बुरा उसी के साथ होता है।

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त।
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।।

Kabir das ki kahani sunao

भावार्थ: इस दोहे का अर्थ है कि जो आदमी दूसरे के अंदर की बुराइयों को देखता है उसकी मजाक उड़ाता है उनके दोषों पर हसता है, उसे अपने खुद के दोषों पर नजर नहीं पड़ती जिसका ना तो कोई आदि है ना ही कोई अंत। 

कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं ।
पारै पहुंचे नाव ज्यौं मिलिके बिछुरी जाहिं ॥

भावार्थ: कबीरदास जी कहते है इस संसार में ना कोई हमारा अपना है, और ना ही हम किसी के सगे है। यह सब रिश्ते इंसानों ने बनाये है जिस तरह नाव में बैठे लोग किनारा आने पर एक दूसरे से बिछड़ कर चले जाते है। उसी तरह एक दिन सभी इन रिश्ते-नातों को छोड़कर इस संसार से चले जायेगे। 

कबीरदास जी के दोहे कबीरदास का जन्म कब हुआ था kabir ke dohe in hindi
Old Kashi

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ ॥

भावार्थ: इस दोहे का अर्थ है जो लोग प्रयत्न करने में विश्वास रखते है और निरंतर प्रयत्न करते रहे है वे वैसे ही बहुत कुछ प्राप्त कर लेता है जैसे एक गोताखोर डुबकी लगाने से समुद्र के अंदर से कुछ ना कुछ प्राप्त कर लेता है खाली हाथ नहीं लौटता। परन्तु, कुछ लोग सिर्फ पानी के डर से किनारे में ही बैठे रहते है और उन्हें कुछ नहीं होता। 

कबीरदास जी के दोहे

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा,  त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।
द्वापर में करुणामय कहलाया, कलयुग में नाम कबीर धराया।।

शब्दार्थ : कबीर जी ने कहा है कि जब में सतयुग में आया था तब मेरा नाम सत सुकृत था। त्रेता युग में मेरा नाम मुनिंदर था द्वापर युग में मेरा नाम करुणामय था और कलयुग में मेरा नाम कबीर है। यह कबीर जी ने अपने अनुयाइयों को बताया था। 

जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं ।
जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं।।

शब्दार्थ : इस दोहे का अर्थ है, जिसका उदय हुआ है वो अस्त होगा, जो फला -फुला विकसित हुआ हुआ है वह मुरझा जायेगा। जो चीना गया है अथार्त जो चीज़ बनाई गयी है जैसे भवन वो भी एक दिन गिर पड़ेगा। और जो इस संसार में आया है वह एक दिन चले भी जायेगा। 

हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास ।
सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास ।।

शब्दार्थ : इस दोहे का अर्थ है, यह नश्वर मानव शरीर अंत समय में लकड़ी की तरह जलता है और बाल घास की तरह जल उठता है। सम्पूर्ण शरीर को इस तरह से जलता देख कर कबीर जी का मन उदास हो जाता है। 

कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई ॥

कबीर दास के दोहे अर्थ सहित | Kabir Ke Dohe in Hindi

शब्दार्थ : कबीर जी कहते है कि जो रेखा सिंदूर की है वहाँ पर काजल नहीं दिया जा सकता है।  जब नेत्रों में राम है तो वहाँ कोई और कैसे निवास कर सकता है। 

कुल करनी के कारनै, हंसा गया बिगोय।
तब कुल काको लाजि, चारि पांव का होय॥

शब्दार्थ : कबीर जी कहते है कि  परिवार के लिए आदमी ने अपनी मर्यादा को लांघ दिया है और  बिगड़ गया है। उस परिवार की मर्यादा का तब क्या होगा जब बिना परमार्थ और सतसंग के उस आदमी को अगले जन्म मे पशु बनना पड़े। इसलिए, इस जन्म में ईश्वर की पूजा को और उनसे जुड़ो। 

Kabir ke dohe

कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी ।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ।।

शब्दार्थ : कबीर जी कहते है कि अज्ञानी बन कर क्यों सोये रहते है? अपने मन को जगा कर प्रभु का नाम लो प्रभु की पूजा करो। वह दिन दूर नहीं जब तुम्हें गहरी नींद में ही चले जाना है। प्रभु के नाम का जप क्यों नहीं करते। 

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढि गढि काढैं खोट।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।

शब्दार्थ : कबीर जी कहते है की गुरु कुम्हार है और शिष्य घड़े के सामान है। जिस तरह से कुम्हार घड़े को सुन्दर बनाने के लिए घड़े के अंदर हाथ डालकर थाप मारता है ताकि घड़ा सुन्दर बने उसी तरह से गुरु शिष्य को कठोर अनुशासन में रखकर शिष्य की बुराइयों को दूर करता है और उसे समाज में सम्मान से जीने के लिए तैयार करता है। 

कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ

पर नारी पैनी छुरी, विरला बांचै कोय।
कबहुं छेड़ि न देखिये, हंसि हंसि खावे रोय।।

शब्दार्थ : कबीरदास जी कहते है कि पराई स्त्री से कभी छेड़-छाड़ मत करो उसे अपने लिए तीखी छुरी ही समझो। उससे कोई विरला ही बच पाता है वह हसते खाते रोने लगती है। वह कहते है कि पराई स्त्री से प्रेम प्रसंग करना लहुसन खाने के समान है उसे चाहे कोने में बैठ कर खाओ उसकी सुगंध दूर तक जाती है।

यह भी पढ़े: 
1- माँ दुर्गा जी की आरती||  2- ओम जय जगदीश हरे आरती 
3- शंकर जी की आरती 4- देवी सर्वभूतेषु मंत्र
5- आरती कुंजबिहारी की 6 – कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय ।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।।

शब्दार्थ : महापुरुष या सज्जन पुरूष का जीवन ऐसा होना चाहिये जिस प्रकार सूप ( अनाज छानने वाला उपकरण ) का स्वभाव होता है, सूप अपने पास अच्छे अनाज को रख लेता है और उसकी गन्दगी को साफ कर देता है उसी प्रकार सज्जन लोगों को अपने अंदर की अच्छाइयों को अपने पास रख कर बुराइयों को दूर कर देना चाहिए।

kabir das ji ke dohe sunao

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढत बन माहि ।
ज्यो घट घट राम है, दुनिया देखे नाही ।।

शब्दार्थ : कबीर दास जी कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार हिरन कस्तूरी ( सुगन्धित पदार्थ ) की खोज में जंगल में इधर-उधर भागते रहती है और उसे ढूंढते रहती है जबकि कस्तूरी उसकी नाभि में ही है। उसी प्रकार से मनुष्य भी भगवान को इधर-उधर ढूढ़ता रहता है परन्तु ईश्वर तो इस संसार के कण-कण में विराजमान है यह बात मनुष्य नहीं समझ पाता है। 

कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस ।
ना जाने कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस ।।

शब्दार्थ : कबीर जी कहते है कि हे मानव तुझे किस चीज़ का इतना घमंड है तुझे पता है काल ने जीव के बाल पकड़े है काल तेरे सर पर हमेशा मंडराता रहता है। काल जीव का शिकार कभी भी कर सकता है चाहे भले ही वह अपने घर, देश और परदेश में हो काल कहीं भी जीव का शिकार कर सकता है। 

गुरु समान दाता नहीं, याचक सीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दिन्ही दान।।

भावार्थ: कबीरदास जी कहते है कि इस पुरे संसार में गुरु से बड़ा कोई दानी नहीं है और शिष्य से बड़ा कोई याचक ( जो मांगता है ) नहीं है। गुरु अपने शिष्य को ज्ञान के रूप में अनमोल संपत्ति प्रदान करता है और शिष्य याचना कर के गुरु से ज्ञान प्राप्त करता है। 

कबीरदास का जन्म कब हुआ था?

कबीर जी का जन्म सन 1938 में हुआ था। कबीर के जन्म के सम्बन्ध में कई किवदंतिया मौजूद है। माना जाता है कि उनका जन्म वाराणसी में एक विधवा ब्राह्मणी के घर पर हुआ था। जिसने समाज के डर से उन्हें लहरतारा नामक एक तालाब के किनारे छोड़ दिया था।  नीरू और नीमा नाम की एक दंपति वहाँ से गुजर रही थी उन्होंने बच्चे के रोने की आवाज सुनी और उस बच्चे को देखा तो उसे वे अपने घर ले गए। 

आशा करते हैं की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। आप हमें अपने सुझाव और शिकायत के लिये नीचे कमैंट्स बॉक्स मैं जानकारी दें सकते हैं।

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नमस्कार 🙏दोस्तों, मेरा नाम विमला है। मैंने MA इंडियन हिस्ट्री (इतिहास) से किया है। मुझे इतिहास के बारे में लिखने का बहुत शौक है। इतिहास से मास्टर करने के बाद मैंने एक टीचर की जॉब की और साथ में ब्लॉग लिखने की भी शुरआत की। दोस्तों आपको मेरे ब्लॉग पोस्ट कैसे लगते है इस बारे में आप मुझे बता सकते है। मुझे सम्पर्क करने के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है। धन्यवाद !

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