आरती कुंज बिहारी की | Aarti Kunj Bihari Ki in Hindi

आरती कुंज बिहारी की, भगवान श्री कृष्ण की आरतियों में से एक है जो हिंदू धर्म में बहुत ही प्रसिद्ध है। aarti kunj bihari ki lyrics in hindi आरती का पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इस आरती को राधा रमण ठाकुर जी ने रचा है और इसे लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं।

इस आरती में भगवान कृष्ण की विभिन्न गुणों का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति एवं श्रद्धा का भाव जागृत करती है और उन्हें सुख तथा शांति प्रदान करती है।

आरती कुंज बिहारी की | Aarti kunj bihari ki lyrics in hindi

आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै । बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ 

॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

aarti kunj bihari ki lyrics in hindi
आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस, जटा के बीच,

हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,

कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ 

आरती कुंज बिहारी हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध भजन है। यह भजन भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसे अक्सर जन्माष्टमी, होली जैसे पर्वों पर गाया जाता है।

इस भजन के शब्दों में भगवान कृष्ण की भक्ति, उनकी आराधना और प्रशंसा की गई है। इस भजन के द्वारा भक्त भगवान कृष्ण की सर्वशक्तिमानता और आनंद को अनुभव करते हैं।

यह भी पढ़े: 
1- माँ दुर्गा जी की आरती|| 
2- ओम जय जगदीश हरे आरती 
3- शंकर जी की आरती
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Aarti kunj bihari ki lyrics in hindi English

Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

Gale Mein Baijanti Mala, Bajave Murali Madhur Bala 
Shravan Mein Kundal Jhalakala, Nand Ke Anand Nandlala 

Gagan Sam Ang Kanti Kali, Radhika Chamak Rahi Aali 
Latan Mein Thadhe Banamali 

Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak, Chandra Si Jhalak 
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki 

Shri Girdhar Krishna Murari Ki 
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki 

Kanakmay Mor Mukut Bilse, Devata Darsan Ko Tarse 
Gagan So Suman Raasi Barse Baje Murchang,
Madhur Mridang, Gwaalin Sang Atual Rati Gop Kumari Ki 

Shri Girdhar Krishna Murari Ki 
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki 

Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga, Kalush Kali Haarini Shri Ganga 
Smaran Te Hot Moh Bhanga Basi Shiv Shish
Jataa Ke Beech, Harei Agh Keech Charan Chhavi Shri Banvaari Ki 

Shri Girdhar Krishna Murari Ki 
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki 

Chamakati Ujjawal Tat Renu, Baj Rahi Vrindavan Benu 
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu Hansat Mridu Mand
Chandani Chandra, Katat Bhav Phand Ter Sun Deen Bhikhaaree Ki 

Shri Girdhar Krishna Murari Ki 
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Girdhar Krishna Murari Ki ॥

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आरती कुंज बिहारी को गाने की विधि 

आरती कुंज बिहारी को गाने के लिए एक विशेष विधि होती है। नीचे दी गई विधि को फॉलो करके आप इस भजन को गा सकते हैं। 

  1. सबसे पहले, भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने बैठें या खड़े हो जाएं।
  2. सबसे पहले आप अपने दोनों हाथों को जोड़कर भगवान कृष्ण को नमन करें और इस भजन के गाने का आरंभ करें।
  3. भजन के गाने के दौरान, एक दीपक जलाएं और उसे भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने रखें।
  4. भजन के अंत में, भगवान कृष्ण को फिर से नमन करें और अपने हाथ फिर से जोड़ें।

इस विधि को फॉलो करने से आप आरती कुंज बिहारी को सही ढंग से गा सकते हैं और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

Q&A

आरती कुंज बिहारी का महत्व क्या है?

आरती कुंज बिहारी का महत्व बहुत अधिक है। इसे भक्त लोग बड़े आनंद से कृष्ण भक्ति के रूप में गाते है । यह आरती भगवान कृष्ण की पूजा और उनकी याद के लिए गाई जाती है। इसे गाने से धर्म और आध्यात्मिकता की जानकारी मिलती है और यह लोगों को उनकी आस्था और श्रद्धा को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा इस आरती के गाने से मन शांत होता है और चिंताओं से मुक्त होता है।

आरती कुंज बिहारी के पीछे की कहानी क्या है?

आरती कुंज बिहारी के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। अनुमान है कि इस आरती के बोल के लेखक महाकवि टुलसीदास जी थे।

एक दिन टुलसीदास अपने गुरु श्री नारद मुनि के पास गए थे। उन्होंने नारद मुनि से एक प्रश्न किया कि कैसे वे अपनी कृष्ण भक्ति को बढ़ा सकते हैं। नारद मुनि ने उन्हें कुछ उपाय बताए, लेकिन टुलसीदास उन उपायों से संतुष्ट नहीं थे। तब नारद मुनि ने उन्हें आरती कुंज बिहारी का गाना गाने का सुझाव दिया।

टुलसीदास ने नारद मुनि की सलाह मानते हुए आरती कुंज बिहारी का गाना गाया और इसे गाने से उन्हें कृष्ण भक्ति की अनुभूति हुई। उन्होंने अपनी कृष्ण भक्ति में इस आरती को लिखा।

आरती कुंज बिहारी का इतिहास क्या है?

आरती कुंज बिहारी का इतिहास बहुत पुराना है और इसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। इस आरती का गाना 16वीं सदी में  महाकवि टुलसीदास के द्वारा लिखा गया था। टुलसीदास ने इस आरती को श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अद्भुत प्रेम भावना को  दर्शाते हुए लिखा था। इस आरती में श्रीकृष्ण की विभिन्न गुणों, उनकी दिव्यता और उनके लीलाओं का वर्णन किया गया है।

यह आरती बहुत समय से हिंदू धर्म के भक्तों के बीच लोकप्रिय हो गई है। इस आरती का गाना किसी भी विशेष पर्व या उत्सव पर श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए गाया जाता है। 

आशा करते हैं की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। आप हमें अपने सुझाव और शिकायत के लिये नीचे कमैंट्स बॉक्स मैं जानकारी दें सकते हैं।

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नमस्कार 🙏दोस्तों, मेरा नाम पूजा है। मैंने MA हिंदी साहित्य से किया है। मुझे हिंदी में लेख लिखने का बहुत शौक है। हिंदी साहित्य से मास्टर करने के बाद मैंने ब्लॉग लिखने की शुरआत की। दोस्तों आपको मेरे ब्लॉग पोस्ट कैसे लगते है इस बारे में आप मुझे बता सकते है। मुझे सम्पर्क करने के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है। धन्यवाद !

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