IP Address एक address होता है। हर एक इंटरनेट डिवाइस जैसे कि लैपटॉप, मोबाइल और टैब और भी बहुत सारे इंटरनेट डिवाइस इन सबका अपना अपना एक address होता है, अब ये जो address होता है इसी को हम लोग IP Address बोलते है। इसी address की सहायता से एक इंटरनेट डिवाइस दूसरे इंटरनेट डिवाइस से कंनेक्ट कर सकती है, जिससे आप एक जगह से दूसरे जगह तक डाटा को भेज सकते है। आपको कोई messsage को मुंबई तक भेजना है या कोलकता तक भेजना है या फिर पाकिस्तान, अमरिका कहीं भी भेजना है तो आप IP Address की सहायता से ही भेज सकते है।
IP Address का फुल फॉर्म Internet Protocol Address होता है।
यह अंको मै होता है जैसे कि 192.158.1.1 एक IP Address है। हर एक इंटरनेट डिवाइस का अलग अलग IP Address होता है। बिना IP Address के एक डिवाइस दूसरे डिवाइस से कनेक्ट नहीं होती है।
हर एक वेबसाइट का भी अपना एक IP Address होता है। जैसे की www. google.com का भी अपना एक IP Address होता है। कंप्यूटर केवल मशीन लैंग्वेज (machine language) को ही पहचान सकता है, इसे binary language भी कहते है, ये language 1 0 1 0 मे होती है। अब google.com लिखने पर कंप्यूटर इसे नहीं पहचान सकता इसलिए ये जो नाम है गूगल फेसबुक इंस्ट्राग्राम ये सब इंसाने के लिए है मशीन सिर्फ binary language 1 0 1 0 मे ही बात करती है।
जब भी आप google facebook आदि वेबसाइट खोलते है तो इसके पीछे हर एक वेबसाइट का IP Address होता है तो कंप्यूटर इस IP Address से कनेक्ट करता है और आपके लिए वेबसाइट open कर देता है।
IP Address डेसीमल नंबर मैं होता है जैसे की 192.170 .100 .1. कंप्यूटर इस डेसिमल नंबर को binary number मे बदल देता है।
ध्यान दें : कंप्यूटर नेटवर्किंग मैं हर एक डिवाइस का अपना एक अलग IP Address होता है। कोई भी दो या दो से अधिक डिवाइस का IP Address एक जैसा नहीं होता है।
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इंटरनेट प्रोटोकॉल के दो संस्करण आज इंटरनेट मैं आम उपयोग में हैं।
1 – IPv4 (Internet Protocol Version 4)
2 – IPv6 (Internet Protocol Version 6 )
IPv4 (Internet Protocol Version 4):
IPv4 (Internet Protocol Version 4) 32 bits logical address होता है। इसके चार भाग होते है हर एक भाग 8 bit का होता है इसलिए इसे 32 bits address कहते है। यह 1980 मैं उपलब्ध हुआ था। इसमें कुल 4,294,967,296 IPv4 address होते है। इसे एक संस्था IANA (Internet Assigned Numbers Authority) चलाती है। इस संस्था का काम पूरी दुनिया IPv4 address को उपलब्ध कराना होता है।IPv4 मैं कुल 4,294,967,296 address होते है और अब ये address खतम होते जा रहे है। इसके समाधान के लिए IPv6 को लाया गया है। IANA ने IPv4 मैं इन addresses को पाँच भागो मैं बाटा है जिन्हे क्लास कहा जाता है।
IPv6 (Internet Protocol Version 6 ):
टेक्नोलॉजी के दुनिया बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसकी कोई भी सीमा तय नहीं है। रोज नये नये इंटरनेट डिवाइस बन रहे है मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर प्रिंटर इंटरनेट स्विच बड़ी बड़ी मशीने। सभी डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिए IP Address कि जरूरत होती है. जैसा कि हमने जाना IPv4 मैं address खतम हो रहे है जिसके लिए IPv6 को लाया गया।
IPv4 में address साइज 32 bit से बढ़ाकर IPv6 में 128 bit कर दिया गया। इसे internet protocol next generation (IPng) भी कहा जाता है। इसमें address 128 bit के होते है जो कि बहुत ज्यादा है। इसमें लगभग 340 trillion trillion trillion IP addresses हैं जो की बहुत ही ज्यादा है।
IP Address मुख्य रूप से दो तरह के होते है।
1 – Private IP Address
2 – Public IP Address
Private IP Address:
Private IP Address का उपयोग किसी निजी काम के लिए होता है। जैसे कि नाम से ही पता चलता है Private IP Address । Private IP Address किसी कंपनी स्कूल या कोई इंटरनेट कैफ़े या और भी बहुत सारे जगहों मैं उपयोग मै होता है। Private IP Address को इंटरनेट की मदद के बिना भी चला सकते है। एक Private नेटवर्क मैं जितने भी इंटरनेट डिवाइस कनेक्ट होते है, वो डिवाइस आपस मैं डाटा ईमेल और भी बहुत सारे काम बिना इंटरनेट के बिना ही कर सकते है, पर ये डिवाइस बाहरी दुनिया के डिवाइस से बात नहीं कर सकते। अगर इनको बाहरी डिवाइस से कनेक्ट करना होता है तो इनको कुछ और protocol की मदद लेनी होती है।
Public IP Address:Public IP Address का उपयोग ISP (Internet service provider) करते है। Public IP Address सीधे इंटरनेट से जुड़े होते है। Public IP Address को आप कही से भी एक्सेस कर सकते है पर Private IP Address को आप सिर्फ उसी नेटवर्क पर एक्सेस कर सकते है जो एक ही private नेटवर्क मैं हैं।
आशा करते है की यह आपको जानकारी अच्छी लगी होगी।आप हमें अपने सुझाव और शिकायत के लिये नीचे कमैंट्स बॉक्स मैं जानकारी दें सकते है।
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