Moral Story in Hindi for Class 7-जादुई छतरी की कहानी

Moral Story in Hindi for Class 7: दोस्तों, क्या आपने जादुई छतरी की कहानी सुनी है? आज के इस लेख में हमने जादुई छतरी की कहानी के बारे में बताया है कि कैसे एक जादुई छतरी चिंटू और उसके पुरे गांव की मदद करती है।

दोस्तों कहानी पढ़ना और देखना दोनों बहुत अच्छा माना जाता है क्युकि ऐसा करने से हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। कहानियों से हमें अच्छी बातें सीख कर उन्हें अपने जीवन में लागू करना चाहिये। आज की यह कहानी भी कुछ ऐसी ही जिसे आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

दोस्तों हमनें बहुत सारी नैतिकता की कहानियां के बारे में भी लिखा है जिन्हे आप नीचे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते है। 

Moral stories in Hindi short-नैतिकता की कहानियां

जादुई छतरी की कहानी

एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक परिवार रहता था। जिसमें नंदू अपने एक बेटे और अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह बहुत गरीब था। नंदू परिवार की देखभाल के लिए गांव के जमींदार के यहां दिन भर मजदूरी करता था। मजदूरी करने से जो पैसे मिलते थे वह उन पैसों से शाम को घर के लिए खाना लेकर आता था।

नंदू जब भी किसी अन्य ज़रूरत पड़ने वाले सामान के बारे में सुनता था तो बहुत ज्यादा परेशान हो जाता था। उसके बेटे का नाम चिंटू था। चिंटू स्कूल जाता था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। वह गांव के पास एक स्कूल में पढ़ता था।चिंटू के पिता जी बहुत मेहनत करके अपने परिवार को पालते थे। उनकी मजदूरी कम होने के कारण वह अपने परिवार ‌का ठीक से पेट भी नहीं भर पाते थे लेकिन वो चिंटू को बहुत अच्छा मानते थे उनको चिंटू की बहुत चिंता रहती थी।

चिंटू के पिता अपने बेटे और पत्नी के साथ खुशी-खुशी जिंदगी गुजार रहे थे। धीरे-धीरे बारिश का मौसम आ गया। बारिश का मौसम चिंटू को पसंद नहीं था क्युकि वह जब स्कूल को जाता था उसी समय बारिश हो जाती थी चिंटू हर बार बारिश में भीगते भीगते स्कूल पहुंचता था। 

भीगने की वजह से वह अपनी क्लास में ठीक से नहीं बैठ सकता था क्युकि उसके पास छतरी नहीं थी। चिंटू के स्कूल पहुंचने पर उसकी टीचर कहती थी चिंटू तुम्हारे कपड़े बहुत गीले हो चुके है तुम्हारी वजह से पूरी क्लास गन्दी हो जाएगी तुम दरवाजे पर खड़े रहो। 

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चिंटू बेचारा पूरे दिन दरवाजे से देखता रहता था। वह कभी खिड़की से देखता तो कभी दरवाजे के पास से देखता था कि टीचर जी क्या पढ़ा रही है। गिले कपड़े होने की वजह से टीचर उसको बाकी बच्चों के साथ नहीं बैठने देती थी। हर साल बारिश के मौसम में चिंटू ऐसे ही पढ़ता था । हर साल ऐसे ही गुजर जाता था । एक बार फिर से मानसून आ गया था। चिंटू

हर बार की तरह इस बार भी भीगते हुए स्कूल पहुंचा उसकी टीचर ने बोला चिंटू तुम्हारी छतरी कहा है तुम इस बार भी भीगते हुए आये। चिंटू ने टीचर से कहा अगली बार पक्का वह छतरी लेकर आयेगा लेकिन अगले ही दिन फिर से चिंटू भीग के स्कूल पहुंचा। चिंटू को भीगा देख कर टीचर ने कहा इस बार क्या हुआ तुम छतरी नहीं लाऐ अब तुम क्लास में नहीं बैठ सकते हो। 

इस बार फिर से चिंटू को क्लास के बाहर बैठना पड़ा। क्लास में एक मोन्टू नाम का लड़का भी पढ़ता था जो हमेशा चिंटू की मजाक उड़ाया करता था। वह हमेशा उसे चिढ़ाता रहता था चिंटू को यह पसंद नहीं था एक दिन चिंटू ने सोचा कि वह कल से बारिश शुरू होने से पहले ही स्कूल चले जायेगा।

अगले दिन चिंटू जल्दी-जल्दी तैयार हुआ।वह जैसे ही घर से स्कूल को निकला बारिश शुरू हो गई। बारिश की वजह से चिंटू के पिता ने उसे समझाया कि बेटा तुम अभी कैसे स्कूल जाओगे तुम भीग जाओगे थोड़ी देर रुक जाओ बारिश के कम होने पर चले जाना।

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Moral Story in Hindi for Class 7

चिंटू ने कहा की वह पेड़ों के नीचे से बच के चले जाऊंगा। चिंटू की मां भी उससे मना करती है लेकिन चिंटू नहीं माना वह घर से निकल गया और पेड़ो की टहनियों से खुद को बचाते-बचाते वह एक बड़े से पेड़ के नीचे थोड़ी देर खड़े हो कर बारिश के कम होने का इंतजार करने लगा। चिंटू पेड़ के नीचे खड़े होकर सोचने लगा की अगर बारिश बंद होगी तो वह जल्दी स्कूल पहुंच जायेगा लेकिन बारिश कम नहीं हो रही थी।

बारिश बढ़ती ही जाती है चिंटू बारिश से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ जाता है और पेड़ की एक टहनी पर बैठ जाता है वह बारिश के बंद होने का इंतज़ार करता है।बहुत समय बीत जाता है पर बारिश बंद नहीं होती है। अब चिंटू को भूख भी लगने लगी थी। वह सोचता है की उसे खाना खा लेना चाहिए क्युकि उसे बहुत भूख लग रही है ।

वह बैंग से अपना टिफिन निकाल लेता है और टिफिन खोलता है उसमें चार रोटी और नमक और कच्चा प्याज होता है । चिंटू आराम से रोटी खाने लगता है लेकिन तभी उसी समय वहां पर एक बाबा जी आते हैं वह भी बारिश में भीगते हुए उसी पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं।

बाबा जी उस छोटे से चिंटू को पेड़ पर बैठा देखते हैं और चिंटू भी रोटी का टुकड़ा खाते हुए बाबा जी की तरफ देखता है।बाबा जी भी चिंटू को रोटी  खाते हुए देखते हैं तभी चिंटू कहता है कि बाबा जी आप रोटी खाओगे लेकिन सब्जी नहीं है सिर्फ रोटी और कटा हुआ प्याज है। बाबा कहते  कि बेटा जब भूख लगी हो तो सूखी रोटी भी किसी पकवान से कम नहीं होती तुम्हारे पास तो तो फिर भी रोटी और प्याज है।

जादुई छतरी की कहानी – Moral Story in Hindi for Class 7

चिंटू बाकी की रोटियां और प्याज बाबा जी को दे देता है। बाबाजी रोटी खाकर बहुत खुश होते हैं और कहते हैं कि बेटा आज कहीं भी भिक्षा नहीं मिली तुमने मुझे खाना खिलाकर मेरा पेट भर दिया है में बहुत खुस हु। तभी बाबा चिंटू से कहते हैं कि तुम इस पेड़ पे क्यों बैठे हो तब चिंटू कहता कि मैं बारिश से बचने के लिए घने पत्तों के नीचे बैठा हु मेरे पास छतरी नहीं है इसीलिए मैं यहां बैठ गया।

चिंटू की बात सुनकर बाबा अपने कन्धे पर टंगे बैंग मैं हाथ डालते हैं और एक छतरी निकालते हैं। बाबा चिंटू को छतरी देते हैं और कहते हैं कि ये लो ये छतरी तुम रख लो यह एक जादुई छतरी हैं। चिंटू बाबा से कहता है कि बाबा जब आपके पास छतरी थी तो आप बारिश में भीगते हुए क्यों आये तब बाबा कहते कि बेटा हमारा क्या है हम तो बाबा हुए कभी यहां तो कभी वहां हमें धूप बारिश से कोई फ़र्क नहीं पड़ता ऐसा कहकर बाबा वहा से चले गये।

चिंटू भी छतरी लेकर स्कूल चले गया लेकिन चिंटू को बहुत देर हो चुकी थी। जब वह क्लास में पहुंचा तो टीचर ने चिंटू से बोला आज छतरी ले आये लेकिन अब तो छुट्टी होने वाली है। उसी क्लास में पढ़ने वाला मोन्टू उसकी फिर मजाक बनाता है और वह चिंटू से कहता है कि इस छतरी को कहा से चोरी कर ले लाये हो तभी टीचर उसको डांटती है ।

स्कूल की छुट्टी होती है सारे बच्चे बाहर आ जाते है लेकिन बाहर निकलते ही काफी तेजी से बारिश और आंधी तूफान आ जाता है सब अपनी-अपनी छतरी खोलते है कुछ बच्चों के पास छतरी नहीं थी वह भीग रहे थे तभी चिंटू उन बच्चों को अपनी छतरी पे बुलाता है।

तूफान की वजह से मोन्टू और उसके दोस्त की छतरी भी उड़ गयी चिंटू उनको भी बुला लेता है धीरे-धीरे पूरा स्कूल चिंटू की छतरी के नीचे आ जाता हैं और पास के गांव के लोग भी चिंटू की छतरी के नीचे आ जाते हैं ।

धीरे-धीरे लोग बढ़ने लगे जितने लोग बढ़ते छतरी भी उतनी बड़ी होती जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कृष्ण जी ने पूरे गांव को बचाने के गोबरधन पर्वत उठा लिया है। 

जादुई छतरी की कहानी इन हिंदीMoral Story in Hindi for Class 7

चिंटू छतरी से सबको उनके घर छोड़ देता है। चिंटू जब अपने घर पहुंचता है तो गांव के जमींदार भी वहां पहुंच जाता है और चिंटू के पिता को सारी बात बताता है। उसके पिता कहते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता हैं ये छतरी तो इतनी छोटी है तभी जमींदार चिंटू से छतरी लेता है और वह छतरी खोलता है‌ और वह छतरी खोलकर बाहर खड़ा हो जाता है तभी उस छतरी मैं कुछ लोग आते हैं ‌तो छतरी बड़ी होने लगती है।

तभी जमींदार को एक तरकीब सूझती है जमींदार कहता है क्यों ना हम इस छतरी की मदद से पानी जमा कर लें तभी चिंटू के पिता बोलते हैं कि जमींदार साहब लेकिन यह कैसे संभव है। जमींदार कहता है कि हम अपने तालाब और गांव के बीच ये छतरी लेकर खड़ा कर देगें फिर उसके नीचे एक तरफ तालाब और नहर बना देंगे और गांव के लोगों को छतरी के नीचे खड़ा कर देगें।

बारिश के पानी से बचने के लिए छतरी तालाब तक बड़ी हो जाएगी और फिर छतरी के चारों और से जो भी पानी गिरेगा वह नहर की मदद से तालाब में गिरेगा और पूरे साल भर की पानी की समस्या हल हो जाएगी।

जमींदार के कहने पर चिंटू ने वैसा ही किया और सच में बारिश का पानी छतरी से होकर एक तरफ नहर और दूसरी तरफ तालाब पर गिरने लगा। अब ये सिलसिला रोज चलने लगा। अब से जब भी बारिश होती नहर और तालाब ही नहीं भरते थे बल्कि बारिश के पानी से उन खेतों को भी बचा लिया जाता था जिनका अधिक बारिश ना होने की वजह से नुकसान होता था। अब तो पूरे गांव में चिंटू की वाह वाह होने लगती है।

एक चिंटू के पिता चिंटू से कहते है बेटा मैं तुमसे और तुम्हारे निर्णय से बहुत खुस हु।  तुम जिस छतरी के लिए तुम हमेशा तरसते थे और आज तुमको ऐसी छतरी मिली है और तुमने छतरी का इस्तेमाल अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरे गांव के लिए किया।

पापा की बात सुनकर चिंटू कहता है कि पिताजी हमें स्कूल में सीखाया गया है कि सब्र का फल मीठा होता है मैंने सब्र रखा की मुझे एक दिन छतरी अवश्य मिलेगी और हमें स्कूल बताया गया है कि हमेशा दुसरो की मदद करनी चाहिए। चिंटू की बात सुन कर उसके पिता बहुत खुश हुए। स्कूल में भी सभी चिंटू को अच्छा मानने लगे और सभी चिंटू के दोस्त बन गए। 

यह भी पढ़े:   मोबाइल का बैटरी बैकअप कैसे बढ़ाये? पेड़ों के नाम इंग्लिश में Moral stories in Hindi short

आशा करते हैं की आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। आप हमें अपने सुझाव और शिकायत के लिये नीचे कमैंट्स बॉक्स मैं जानकारी दें सकते हैं।

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