ओम जय जगदीश हरे आरती: भगवान विष्णु जी की आरती

ओम जय जगदीश हरे आरती हिंदू धर्म की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। यह आरती जन्माष्टमी, नवरात्रि, दीवाली, विष्णु जयंती जैसे अनेक अवसरों पर भक्तों द्वारा बोली जाती है। यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता माना जाता है।

ओम जय जगदीश हरे आरती” के शब्द भगवान विष्णु के गुणों का स्मरण करते हुए लिखे गए हैं। इस आरती में भगवान विष्णु को सभी देवताओं का सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जिन्होंने सृष्टि का निर्माण किया। इस आरती के बोल जीवन के समस्त पहलुओं को शुभ बनाने के लिए हैं, जो इंसानों को सकारात्मक दिशा में ले जाने में सहायता करते हैं। इस आरती का उच्चारण दिल को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

ओम जय जगदीश हरे आरती

यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित होता है। यह आरती भगवान विष्णु की उपासना के लिए गाई जाती है। इस आरती के गाने से मन और शरीर दोनों को शांति मिलती है और व्यक्ति को मानसिक तनाव से राहत मिलती है। यह आरती मन को शुद्ध और प्रसन्न करती है और उसे नई ऊर्जा का एहसास कराती है।

ओम जय जगदीश हरे आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

तन-मन-धन, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥

ओम जय जगदीश हरे आरती के गायन और सुनने से क्या होता है?

मन की शांति: ओम जय जगदीश हरे आरती गायन और सुनने से मन की शांति होती है। यह आपके मानसिक स्थिति को शांत, स्थिर और सकारात्मक बनाता है।

सकारात्मक ऊर्जा: ओम जय जगदीश हरे आरती के गाने से एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो आपको ऊर्जावान और प्रेरित करती है।

संयम और आत्मविश्वास: यह आरती आपको संयम, आत्मविश्वास, सभ्यता और सहिष्णुता के गुणों को स्थापित करने में मदद करती है।

शुभकामनाएं: आरती गाने से शुभकामनाएं आपके जीवन में आती हैं और आपको सभी बुराइयों से मुक्त करती हैं।

दैनिक धार्मिक अभ्यास: ओम जय जगदीश हरे आरती नियमित रूप से गाने से आप अपने धार्मिक अभ्यास को संभवतः अधिक उन्नत कर सकते हैं।

मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: जब भी इस आरती को समर्पित भाव से पढ़ा जाता है, तो अपनी मनोकामनाओं के साथ साथ अन्य लोगों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी प्रार्थना की जाती है।

सुख एवं समृद्धि मिलती है: इस आरती का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

आत्मविश्वास एवं उन्नति होती है: इस आरती को पढ़ने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और उसकी उन्नति होती है।

समस्याओं से निजात मिलती है: अगर कोई व्यक्ति धन, स्वास्थ्य, परिवार, या दूसरी समस्याओं से पीड़ित है तो इस आरती का पढ़ने से उसकी समस्याओं का निवारण होता है।

om jai jagdish hare aarti

ओम जय जगदीश हरे lyrics English

Om Jai Jagadish Hare, Swami Jaya Jagadish Hare.
Bhakta janon ke sankat, Das Jano ke sankat,
Chan me door kare Om Jai Jagadish Hare ||

Jo dhyave phal paave, dhukh bin se man ka,
Swami dhukh bin se man ka,
sukh sampati ghar aave,kasht mite tan ka.

Mat pita tum mere, sharan padun mai kis ki,
Tum bina aur na doo jaa, Ash karun mai kis ki.

Tum pooran Paramatma, Tum Antaryaami,
Para brahma Parameshwara, Tum sab ke Swami.

Tum karuna ke saagar, Tum palan karta,
Mai sevak tum swaami, Kripa karo bhartaa

Tum ho ek agochar, Sab ke prana pati,
Kis vidhi miloon dayamaya, Tum ko mai kumati.

Deena bandhu dukh hartaa, Tum rakshak mere,
Apane hast uthao, Dwar khada mai tere.

Vishaya vikar mithao, Paap haro deva,
Shraddha bhakti badhao, Santan ki seva.

Tan man dhan sab kuch hai tera,
Tera tujh ko arpan’ Kya laage mera.

Om Jai Jagadish Hare, Swami Jai Jagadish Hare.
Bhakta janon ke sankat, Das Janon ke sankat,
Chan me door kare, Om Jai Jagadish Hare.

ओम जय जगदीश हरे आरती का अर्थ क्या है?

ओम” शब्द अर्थात् परमात्मा का नाम है। “जय” शब्द का अर्थ होता है “विजयी” यानि जीतनेवाला। “जगदीश” शब्द का अर्थ होता है “विश्व का स्वामी” अर्थात परमेश्वर। “हरे” शब्द का अर्थ होता है “हे परमेश्वर”।

इस आरती में यह कहा जाता है कि हे परमेश्वर, तुम संसार के सभी जीवों का संरक्षक हो, हमें अपने शरण में ले लो और हमें दुःखों से मुक्ति दो। आरती के अंत में प्रार्थना की जाती है कि हमें तुम्हारा आशीर्वाद मिले और हमेशा तुम्हारे भक्त बने रहें।

ओम जय जगदीश हरे आरती कब लिखी गई थी?

“ओम जय जगदीश हरे” आरती के बारे में उल्लेखनीय है कि इसके लेखक या रचयिता के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। यह आरती अत्यंत प्रसिद्ध हो गई है और भारत के विभिन्न भागों में हिंदू धर्म के भक्तों द्वारा उपयोग में लाई जाती है।

हालांकि, इस आरती के गीत का मूल रूप संस्कृत में लिखा गया था जिसे दूसरों ने भाषांतर किया। इस आरती का लिखित रूप पहली बार छपा था सन् 1870 में एक हिंदू धर्म जागरण संस्था द्वारा निकाले गए पत्रिका “कल्पतरु” में। इसके बाद, यह आरती बहुत लोकप्रिय हो गई और विभिन्न संस्करणों में संशोधन करके प्रसिद्ध हुई।

यह भी पढ़े: 1- माँ दुर्गा जी की आरती|| 2- शंकर जी की आरती 3- लक्ष्मी जी की आरती

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नमस्कार 🙏दोस्तों, मेरा नाम पूजा है। मैंने MA हिंदी साहित्य से किया है। मुझे हिंदी में लेख लिखने का बहुत शौक है। हिंदी साहित्य से मास्टर करने के बाद मैंने ब्लॉग लिखने की शुरआत की। दोस्तों आपको मेरे ब्लॉग पोस्ट कैसे लगते है इस बारे में आप मुझे बता सकते है। मुझे सम्पर्क करने के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है। धन्यवाद !

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