आइये, जानते है श्री गणेशजी की आरती लिखित में, गणेश आरती, shree ganesh ji ki aarti, श्री गणेश जी की आरती हिंदी में, श्री गणेश जी के 108 नाम के बारे में।
श्री गणेशजी विघ्नहर्ता हैं वो हमारी सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करते है। वे ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं और सभी देवताओं में प्रथम पूजें जाते हैं। श्री गणेशजी की पूजा करने से हम अपने जीवन में खुशहाली, समृद्धि, सफलता और सुख का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
श्री गणेशजी की आरती | गणेश आरती | shri ganesh ji ki aarti
श्रद्धा और आस्था से भक्ति करने से समस्त कष्टों का नाश होता है। विश्वास और समर्पण से जीवन के सभी काम पूरे होते हैं। गणेश जी की आरती सभी लोग बड़े आनंद से गाते है। गणेश जी भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते है वो हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बनाये रखते है।
श्री गणेश जी की आरती लिरिक्स | गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
अंधन को आंख देत कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

Ganesh ji ki Aarti lyrics English
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
Ek Dant Dayavant, Char Bhuja Dhari,
Mathe Pe Sindoor Sohe, Muse Ki Savari.
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
Andhan Ko Aankh Det, Kodhin Ko Kaya,
Banjhan Ko Putra Det, Nirdhan Ko Maya.
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
Paan Chadhe, Phool Chadhe, Aur Chadhe Meva,
Ladduan Ka Bhog Lage, Sant Kare Seva.
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva.
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva.
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गणेश जी को और कुछ प्रसिद्ध आरतियां हैं जिन्हे लोग अलग-अलग अवसर पर गाते है और गणेश जी की भक्ति में लीन हो जाते है।
गणेश गायत्री मंत्र
“गणेश गायत्री मंत्र” आरती के बोल निम्नलिखित हैं।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
इसका अर्थ होता है कि हम एकदंत स्वरूप श्री गणेश को प्रणाम करते हैं। हे वक्रतुण्ड स्वरूप, हम आपको ध्यान करते हैं। कृपा करके हमें सभी कार्यों में विघ्न रहित बनाए रखें। हमें निर्विघ्न करें। हे शांतिदाता, कृपा करके हमें शांति प्रदान करें।

सुखकर्ता दुखहर्ता आरती
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुरवारी।
अुंदी नव नचे गावे वारी॥
ब्रह्माणी रूद्राणी सदा वंदित्या।
संत सज्जन शेष गणनाया॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रें मनवांछित फलमूर्ति॥
जय देव जय देव।
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
सुखर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
सुखर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
जय देव जय देव।
मौली चंदन चारीका तिलक लावली।
जांव्या शेतीच्या वाटी पाहावी॥
अंतर्यामी तुझ्या विना कोणी आणी।
नावे शंकेस महामान राणी॥
देवेश्वरा आर्त्या तुझ्या गावती।
हरिद्रा वसना सोहळा करती॥
जय देव जय देव।
सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
सुखर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची॥
गणपति बाप्पा मोरया। मंगलमुर्ती मोरया॥
जय देव जय देव।
गणपति बाप्पा मोरया। मंगलमुर्ती मोरया॥
जय देव जय देव।

सिद्धिविनायक मंत्र आरती
ॐ गं गणपतये नमः।
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
अष्टविनायक नमो नमः।
गणपती बाप्पा मोरया। मंगलमूर्ति मोरया।
ॐ जय सिद्धिविनायका।
सिद्धिविनायक नमो नमः।
गणपती बाप्पा मोरया। मंगलमूर्ति मोरया।
ॐ जय सिद्धिविनायका।
गणपती बाप्पा मोरया। मंगलमूर्ति मोरया।
ॐ जय सिद्धिविनायका।
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करे सेवा।
अंग अंग फड़के बाजे ढोलक। मृदंग ताल बजे जय गणपति रघुवंश नंदन।
जय सिद्धिविनायक सदगुणवर्धन। श्री सिद्धिविनायक नमो नमः।
गणपती बाप्पा मोरया। मंगलमूर्ति मोरया।
ॐ जय सिद्धिविनायका।
गणेश जी की आरती की विधि
गणेश जी की आरती की विधि निम्नलिखित है।
- सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति के सामने बैठ जाएं।
- अपने हाथ जोड़कर गणेश जी को नमस्कार करें।
- अपने दाहिने हाथ में दीपक लेकर उसे जलाएं। अगर अधिक लोग हों तो एक साथ कई दीपक जलाए जा सकते हैं।
- अब गणेश जी की आरती करें। आरती करने से पहले धूप और दीपक को गणेश जी के सामने घुमाएं।
- अर्पित हुए दीपक के चारों ओर गणेश जी की आरती गाएं।
- आरती करने के बाद प्रशाद बाँटें और सभी लोग प्रसाद का स्वाद लें।
- आरती के बाद गणेश जी की मूर्ति को प्रणाम करें।
Q&A
गणेश जी की आरती करने का महत्व क्या है?
गणेश जी की आरती करने का महत्व बहुत अधिक होता है। इस आरती को करने से हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। इस आरती से गणेश जी की महिमा की जाती है और उनकी भक्ति का वर्णन किया जाता है।
इस आरती के द्वारा भक्त गणेश जी से सुख, समृद्धि और सफलता की प्रार्थना करते है।
इस आरती को रोजाना करने से हमें शुभ कार्यों में सफलता मिलती है और निराशा का अनुभव नहीं होता है। गणेश जी की आरती करने से हमें शुभ फल मिलते हैं और भगवान गणेश हमारी समस्याओं को दूर करते हैं और हमें अपना आशीर्वाद देते हैं।
गणेश जी की आरती के पीछे का इतिहास क्या है?
गणेश जी की आरती के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि, इसका आरंभ महाराष्ट्र में हुआ था, जहां सन 1690 में श्रीमंत बाजीराव पेशवा ने गणेश जी के नाम से सिद्धिविनायक मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में गणेश जी की आरती की जाती थी और उस दौरान गणेश जी को आरती गायी जाती थी। यह मंदिर बहुत ही फेमस है।
इसके आलावा अन्य लोगों के अनुसार, गणेश जी की आरती का आरंभ प्राचीन समयों में हुआ आ रहा है, जब लोग गणपति जी की पूजा के लिए इसका उपयोग करते थे।
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नमस्कार 🙏दोस्तों, मेरा नाम पूजा है। मैंने MA हिंदी साहित्य से किया है। मुझे हिंदी में लेख लिखने का बहुत शौक है। हिंदी साहित्य से मास्टर करने के बाद मैंने ब्लॉग लिखने की शुरआत की। दोस्तों आपको मेरे ब्लॉग पोस्ट कैसे लगते है इस बारे में आप मुझे बता सकते है। मुझे सम्पर्क करने के लिए आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है। धन्यवाद !