Ya devi sarvabhuteshu lyrics “या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता” श्लोक हिंदू धर्म में प्रचलित एक मंत्र है जिसे माँ दुर्गा को समर्पित किया जाता है।
इस मंत्र में “या देवी” का अर्थ है “जो देवी हैं”। “सर्वभूतेषु” का अर्थ होता है “सभी जीवों में” और “मातृरूपेण” का अर्थ होता है “मातृ स्वरूप में”। “संस्थिता” का अर्थ होता है “स्थित होना” या “निवास करना”। इस मंत्र का अर्थ होता है “जो देवी सभी जीवों में माता के रूप में स्थित हैं”।
Ya devi sarvabhuteshu lyrics | या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्य भिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु छाया-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू क्षान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू लज्जा-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु व्रती-रुपेणना संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु स्मृती-रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु भ्राँति-रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इन्द्रियाणा मधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या |
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ||
चितिरुपेण या कृत्स्नम एतत व्याप्य स्थितः जगत
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इस मंत्र में “शक्ति-रूपेण संस्थिता” भी है जो बताता है कि माँ दुर्गा न केवल मातृ स्वरूप में स्थित हैं, बल्कि वे शक्ति के रूप में भी समस्त जीवों में समाहित हैं।इस मंत्र का उच्चारण करने से मन को शांति मिलती है और यह मनुष्य को अपनी आत्मा से जोड़ने में मदद करता है।
या देवी सर्वभूतेषु मंत्र उच्चारण की विधि
या देवी सर्वभूतेषु मंत्र का उच्चारण करने के लिए कुछ विशेष विधि होती है। निम्नलिखित हैं कुछ आसान चरण जिन्हें आप इस मंत्र को उच्चारित करने के लिए अनुसरण कर सकते हैं।
- सबसे पहले अपने आसन पर बैठें या खड़े हो जाएँ।
- आंखें बंद करें और एक गहरी सांस लें।
- ध्यान केंद्रित करें और मानसिक रूप से माँ दुर्गा को समर्पित करें।
- “या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” इस मंत्र को धीरे-धीरे उच्चारित करें।
- मंत्र को एकाग्रता से जपते हुए मानसिक रूप से माँ दुर्गा की आराधना करें।
- इस रीति से 108 बार जप करें। अंत में, ध्यान को धीरे-धीरे कम करें और अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलें।

या देवी सर्वभूतेषु मंत्र से फायदे
इस मंत्र के जप से कई फायदे हो सकते हैं। कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं।
- इस मंत्र के जप से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है जो आपकी जिंदगी में सुख, समृद्धि और सफलता लाने में मदद कर सकती है।
- यह मंत्र माँ दुर्गा की शक्ति को अनुभव करने में मदद करता है। इसका जप करने से आपके मन में शांति, उत्साह और शक्ति आती है।
- इस मंत्र के जप से आपका मानसिक स्थिति तेज होती है और आप अपने आसपास की स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं।
- इस मंत्र का जप करने से आपके मन में अनंत सुख और शांति की भावना आती है।
- यह मंत्र आपकी मन की दशा में सुधार लाता है और आपको जीवन में आये दुखों से मुक्ति दिलाता है।
- इस मंत्र के जप से आपके मन में ज्ञान और विवेक का विस्तार होता है और आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे को तैयार होते हैं।
Ya devi sarvabhuteshu मंत्र का इतिहास
यह मंत्र का इतिहास बहुत पुराना है। इस मंत्र का उल्लेख सबसे पहले वेदों में मिलता है। इसके अलावा तंत्र शास्त्र में भी इस मंत्र के महत्त्व का वर्णन किया गया है।
इस मंत्र को प्रथम बार श्रीमद् देवी भागवत पुराण में उल्लेख किया गया था। यह मंत्र देवी दुर्गा को समर्पित है जो समस्त प्राणियों की माता हैं। इस मंत्र का उच्चारण दुर्गा पूजा के समय किया जाता है।

यह मंत्र हिंदू धर्म में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस मंत्र का जप करने से दुर्गा माता की कृपा प्राप्त होती है। इस मंत्र का जप करने से शुभ फल प्राप्त करने का विश्वास भी होता है। इस मंत्र के जप से विद्या, संपत्ति, समृद्धि, स्वास्थ और सफलता की प्राप्ति होती है। इसलिए, हिंदू धर्म में “या देवी सर्वभूतेषु” मंत्र को बहुत महत्त्व दिया जाता है।
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1- माँ दुर्गा जी की आरती||
2- ओम जय जगदीश हरे आरती
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Q&A
क्या या देवी सर्वभूतेषु मंत्र के अलावा दुर्गा माता से संबंधित कोई और मंत्र हैं?
हाँ, दुर्गा माता से संबंधित अनेक मंत्र हैं। कुछ और लोकप्रिय मंत्रों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- दुर्गा अपदुद्धरस्तोत्रम् (Durga Apaduddharastotram)
- दुर्गा कवच (Durga Kavach)
- दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati)
- दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Durga Ashtottara Shatanama Stotram)
- दुर्गा माता मंत्र (Durga Mata Mantra)
- महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (Mahishasura Mardini Stotram)
ये मंत्र दुर्गा माता की शक्ति और कृपा को आह्वान करने के लिए होते हैं और उनके जप से दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सकते हैं।
क्या या देवी सर्वभूतेषु मंत्र के लाभों को प्राप्त करने के लिए कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक है?
हाँ, कुछ सावधानियों का पालन करना आवश्यक हो सकता है ताकि या मंत्र के लाभ प्राप्त किए जा सकें। कुछ सावधानियों निम्नलिखित हैं
- मंत्र का जाप करने से पहले शुद्धता बनाए रखना आवश्यक होता है। इसके लिए रोजाना नियमों का पालन करें जैसे कि स्नान करना, शुद्ध कपड़े पहनना आदि।
- मंत्र के जाप के दौरान मन कोशांत रखने की कोशिश करें। दूसरे विचारों को अपने मन से निकाल दें और स्वयं को मंत्र के जाप में समर्पित करें।
- मंत्र का जाप करने का समय और स्थान निश्चित कर लें ताकि निरंतरता बनाए रखा जा सके।
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